वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इस्म गिरामी हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि और कुनिय्यत अब्बू नूर थी। तरीक़त और शरीयत के उलूम में इमाम उल-असर थे और अपने वक़्त के क़ुतुब अलकिताब माने जाते थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत ख़्वाजा शरीफ़ ज़ंदनी रहमतुह अल्लाह अलैहि के ख़लीफ़ा थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि नीशा पर के नज़दीक एक गांव हारून के रहने वाले थे जिस की वजह से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के नाम के साथ हारूनी लिखा जाता है।

जिस दिन हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि को ख़िरक़ा ख़िलाफ़त मिला तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के पीरोमुर्शिद हज़रत ख़्वाजा शरीफ़ ज़ंदनी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने कुलाह चार तुर्की भी आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के सर पर रखा और फ़रमाया कि इस चार तुर्की कुलाह से मुराद चार चीज़ों को तर्क करदेना है:

१। तर्क-ए-दुनिया।

२। तर्क अक़बा। यानी अल्लाह की ज़ात के सिवा कोई भी मक़सूद ना होना

३। तर्क खाना पीना। इस से मुराद कम खाना और कम सोना है।

४। तर्क ख़ाहिश नफ़स। यानी जो कुछ नफ़स कहे इस के ख़िलाफ़ किया जाये।

हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि से रिवायत है कि एक दिन हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि के हमराह दौरान-ए-सफ़र हम एक ऐसी जगह पहुंचे जहां आतिश परस्तों की बस्ती थी वहां एक आतशकदा था जिस की आग किसी दिन भी सर्द नहीं हुई थी। हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने लोगों से कहा कि तुम लोग ख़ुदा की प्रसतिश क्यों नहीं करते जिस ने इस आग को पैदा किया है। उन्हों ने जवाब दिया कि हमारे मज़हब में आग को बड़ा माना गया है। हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया क्या तुम अपने हाथ पांव को आग में डाल सकते हो। उन्हों ने कहा कि आग का काम जलाना है ये किस की मजाल है कि इस के क़रीब भी जाये। ये बात सन कर हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने एक बच्चा जो कि एक आतशपरस्त की गोद में था लिया और बच्चे समेत आग में कूद गए और चार घंटे के बाद बाहर आए। ना तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का ख़िरक़ा आग से जिला और ना ही बच्चे पर आग का कोई असर हुआ। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ये करामत देख कर तमाम आतशपरस्त मुस्लमान होगए और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हलक़ा इदारत में शामिल होगए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उन के सरदार का नाम अबदुल्लाह और इस छोटे बच्चे का नाम इबराहीम रखा।

हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि एक शख़्स हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो अर्ज़ की कि इतना अर्सा हुआ मेरा लड़का गुम होगया है और मुझे उस की कोई ख़बर नहीं कि वो कहाँ है। मेहरबानी फ़रमाकर तवज्जा फ़रमाएं। हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने ये बात सुनी और मराक़बे में चले गए थोड़ी देर बाद सर उठाया और फ़रमाया कि तुम्हारा लड़का घर पहुंच गया है। वो शख़्स जब घर गया तो लड़के को घर मौजूद पाया वो शख़्स ख़ुशी में उसी वक़्त लड़के को साथ लेकर हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में हाज़िर होगया और शुक्रिया अदा किया। हाज़िरीन ने लड़के से दरयाफ़त किया कि तुम घर कैसे पहुंच गए तो लड़के ने कहा कि में जज़ाइर उल-हिंद के एक जज़ीरे में मौजूद था कि एक बुज़ुर्ग जिन की शक्ल हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि से मिलती जलती थी मेरे पास तशरीफ़ लाए और कहा उठो और मेरे पांव पर अपना पांव रख कर आँखें बंद करलो चुनांचे मैंने ऐसा ही किया जब मेरी आँखें खुलीं तो में अपने घर मौजूद था।

हज़रत ख़्वाजा उसमान हारूनी रहमतुह अल्लाह अलैहि छः शवाल ६१७ हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की आख़िरी आरामगाह मक्का मुअज़्ज़मा में वाक़्य है।